देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा में शुक्रवार को संशोधित भू-कानून ध्वनिमत से पारित हो गया. उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025 के पारित होने से राज्य के भूमि कानूनों को काफी मजबूती मिली है.

उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरण सुरक्षा के उद्देश्य से यह संशोधन विधेयक पेश किया गया था, जिसमें गैर-निवासियों के राज्य में कृषि भूमि खरीद पर रोक लगा दी गई है.

अब राज्य के बाहरी लोग देवभूमि में खेती और हॉर्टिकल्चर के लिए जमीन नहीं खरीद सकेंगे. बीते दशक में उत्तराखंड में खेती-किसानी की जमीनें तेजी से अलग इस्तेमाल में आने लगी थीं, जिसके बाद इस तरह के भू-कानून की मांग उठने लगी.
भू-कानून के मुताबिक अब उत्तराखंड के बाहर के व्यक्तियों को राज्य में जमीन खरीदने से पहले सब-रजिस्ट्रार को एक हलफनामा देना होगा, जिसमें उनके द्वारा यह पुष्टि की जाएगी कि न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार ने आवासीय उद्देश्यों के लिए राज्य में कहीं और 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदी है.

यदि भूमि का उपयोग जिस उद्देश्य के लिए खरीदी गई है, उसके लिए नहीं किया जाता है या उचित प्राधिकरण को सूचित किए बिना बेची जाती है, उपहार में दी जाती है या हस्तांतरित की जाती है, तो खरीददार के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाएगी.