देहरादून : नवंबर में पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके बाद दिसंबर में 7,795 ग्राम पंचायतों और 400 जिला पंचायत सदस्यों समेत क्षेत्र पंचायत और वार्ड सदस्यों के पदों पर चुनाव कराए जाएंगे।
प्रदेशभर के पंचायत प्रतिनिधि त्रिस्तरीय पंचायतों का दो साल का कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी। वहीं, शासन का स्पष्ट कहना है कि पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ेगा। पंचायत एक्ट में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं हैं।
आपको बता दे उत्तराखंड सरकार निकाय और पंचायत चुनाव दोनों की तैयारियों में पूरी तरह जुटी हुई है। सरकार ने ग्राम पंचायत में परिसीमन की पूरी तैयारी कर ली है। सभी 13 जिलों में परिसीमन का काम पूरा हो चुका है। इस मुद्दे पर पंचायती राज के सचिव चंद्रेश कुमार यादव ने जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि 2024 में होने वाले चुनावों के लिए ग्राम पंचायतों के परिसीमन और पुनर्गठन की प्रक्रिया पूर्ण हो गई है। इस बार कुल 50 नई ग्राम पंचायतें बनाई गई हैं और 13 ग्राम पंचायतें निरस्त की गई हैं। कुल 37 नई ग्राम पंचायत अस्तित्व में आई हैं। पिछली बार जब चुनाव हुए थे, तब उत्तराखंड में कुल 7795 ग्राम पंचायतें थीं, जो अब बढ़कर 7832 हो गई हैं।
बता दें कि उत्तराखंड में इसी साल दिसंबर में पंचायत चुनाव होने हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। उत्तराखंड में अक्टूबर में चुनाव होने थे और राज्य सरकार उसी के हिसाब से तैयारियां कर रही थी, लेकिन विधानसभा में ओबीसी आरक्षण संशोधन विधेयक पेश होने के कारण चुनाव की तारीख में बदलाव किया गया।
उत्तराखंड में पहले दो से ज्यादा बच्चे वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते थे, लेकिन अब दो से ज्यादा बच्चे वाले माता-पिता भी चुनाव लड़ सकेंगे। इस बारे में उत्तराखंड के पंचायती राज मंत्री ने बताया कि हाईकोर्ट ने दो से ज्यादा जीवित बच्चों वाले उम्मीदवारों के लिए चुनाव लड़ने की कटऑफ तारीख तय कर दी है। हाईकोर्ट के मुताबिक, 25 जुलाई 2019 से पहले जिनके बच्चे जीवित हैं, वे पंचायत चुनाव में अपनी उम्मीदवारी का दावा कर सकते हैं।
मंत्री ने यह भी कहा कि कुछ लोगों को अभी भी पंचायत चुनाव में दो बच्चों के नियम को लेकर संशय है, उन्हें इस नियम के बारे में उचित जानकारी प्राप्त करनी चाहिए तथा अपनी क्षमता के अनुसार चुनाव में भाग लेना चाहिए, जिससे ग्राम पंचायत का विकास होगा।